साफिन हसन की प्रेरणादय कहानी.
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साफिन हसन की प्रेरणादय कहानी जिसे हर विद्यार्थी को जाननी चाहिए
दोस्तों अगर आपके सपने बड़े हो तो आप का संघर्ष बड़ा होगा और आप का संघर्ष बड़ा होगा तो आपकी मेहनत बड़ी होगी और अगर आपकी मेहनत बड़ी होगी तो यकीन मानिए आपकी जीत भी बड़ी होगी। दोस्तों इस बात को सच कर दिखाया देश के सबसे कम उम्र के आईपीएस ऑफिसर बनने वाले साफिन हसन ने, दोस्तों यह एक प्रेरणास्रोत कहानी है गुजरात के सूरत में रहने वाले साफिन हसन की है.
अक्सर हमारे परिवार के हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बेटे बेटियां आईपीएस बने और अपने परिवार का नाम रोशन करें पर आपको बता दें कि आईपीएस और आईएएस अधिकारी बनने की डगर काफी कठिन होती है, हर साल आईपीएस और आईएएस अधिकारी बनने की चाहत से यूपीएससी की परीक्षा में लाखों लोग शामिल होते हैं परंतु इन लाखों परीक्षार्थियों में से मात्र कुछ सौ हजार प्रतियोगीयो का ही चयन हो पाता है.
यही कारण यूपीएससी को भारत की सबसे कठिन परीक्षा बनाती है, दोस्तों यह कहानी गुजरात के सूरत में रहने वाले साफिन हसन की है जिन्होंने कभी भी कठिन हालातों के आगे अपने घुटने नहीं टेके बल्कि अपनी मेहनत अपने जुनून और से उन्होंने ना सिर्फ अपने सपने का साकार किया बल्कि अब वह उन लाखों युवाओं के लिए भी प्रेरणा स्त्रोत बन गए हैं जो यूपीएससी की परीक्षा की तैयारी करते हैं असफल होने से अपना हौसला खो देते हैं साफिन हसन ने मात्र 22 साल की उम्र में आईपीएस अधिकारी बनने वाले प्रथम भारतीय बन गए हैं
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संघर्ष में बीता बचपन
साफिन हसन एक मध्यवर्गीय परिवार से थे साफिन अपने माता पिता के साथ गुजरात के सूरत में रहते थे. शुरुआती दौर में उनके माता-पिता सूरत के एक डायमंड यूनिट में काम करके अपने परिवार का गुजारा करतेथे परंतु कुछ ही दिन बाद किसी कारणवश उनकी माता- पिता की नौकरी चली गई, नौकरी चले जाने के बाद उनके परिवार पर तो मानो दुखों का पहाड़ ही टूट पड़ा, नौकरी चले जाने के बाद उनकी परिवार की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई, परिवार की स्थिति को सुधार करने के लिए घर जाकर electrician काम करने लगे और उनकी मां ने घरों और शादियों के समारोह मैं जाकर रोटियां बनाने का काम करने लगी थी.
परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो चुकी थी कि कुछ पैसा अतिरिक्त कमाने के लिए साफिन हसन के पिता और उनकी माता जाड़े के दिनों में सड़क के किनारे उबले अंडे और चाय बेचा करते थे अपने परिवार की पालन पोषण कर सके और हसीन की पढ़ाई में कोई दिक्कत नहीं हो साहिल अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि मैं अपनी मां को सर्दियों में कभी पसीने से भीगा हुआ देखता था मेरी मां 3:00 बजे सुबह उठकर 15 से 200 तक रोज रोटियां बनाती थी और इतनी मेहनत के बाद मात्र कुछ हजार रुपए ही कमा पाती थी.
साफिन हसन ने अपने परिवार को हमेशा पैसों की तंगी से जूझता हुआ देखा है. अपने परिवार को इन परिस्थितियों में देखकर ही साफिन हसन ने जीवनमें कुछ करने की ठान ली अब वे समझ गए थे कि अगर कोई उनके परिवार के दयनिता को बदल सकता है तो वह खुद है, इस दिन से उन्होंने ठान ली कि अब वे अपने सपनों को पूरा करके ही रहेंगे.
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पढ़ाई में थे अव्वल
साफइन बचपन से ही प्रतिभाशाली स्टूडेंट थे उन्होंने प्राइमरी की पढ़ाई सूरत के एक सरकारी स्कूल से की , साफी ने दसवीं की परीक्षा (safin hasan 10th percentage) को 92% प्रतिशत अंकों से पास किया साफिन हसन की स्कूल की पढ़ाई के बाद नेशनल स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में दाखिला लिया साफिन हसन ने अपने संघर्ष का वर्णन करते हुए कहा कि जब हाई स्कूल में थे तो उनके प्रिंसिपल ने उनकी प्रतिभा को देखकर उनकी 8000 रूपये की फीस भर दी थी
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जिला अधिकारी को देखकर मिली प्रेरणा:
आपका व्यक्तित्व ऐसा हो जो दूसरों को प्रेरणा दे सके सफिन हसन को भी प्रेरणा एक ऐसे व्यक्ति से मिली थी खुद एक प्रतिभावान व्यक्ति थे सफिन हसन ने अपने एक दिए गए इंटरव्यू में यह भी बताया कि उन्हें यूपीएससी में आने की प्रेरणा कहां से मिली है वे कहते थे कि जब स्कूल में पढ़ते थे तब एक बार उनके जिले के जिलाधिकारी ने उनके गांव का दौरा किया जब जिला अधिकारियों उनके गांव में पहुंचे तो गांव के लोगों ने उनका बहुत सम्मान किया जिला अधिकारी के प्रति गांव वालों का सम्मान और इज्जत देख कर सफीन काफी हैरान थे.
जब उन्होंने एक व्यक्ति से पूछा कि यह कौन है जिसके साथ इतने अधिकारी और सुरक्षा गार्ड की गाड़ियां चल रही हैं तब उन्हें किसी ने बताया कि यह हमारे जिला के जिला अधिकारी हैं और इनका रुतबा किसी राजा से कम नहीं है इसलिए इन्हें इतना सम्मान दिया जा रहा है. डीएम के रुतबे और काम से प्रभावित होकर ही साफिन ने भविष्य में डीएम बनने का सपना अपने मन में पाल लिया और यह निर्णय कर लिया कि वे डीएम बन कर ही रहेंगे इसके बाद साफिन हसन ने अपने मजबूत इरादे को लेकर दिल्ली आ गए. दिल्ली आने के बाद भी संघर्ष ने उनका पीछा नहीं छोड़ा अब उन पर यहां रहने और खाने और कोचिंग की फीस का बोझ था। साफिन हसन के इस संघर्ष को देखकर एक गुजराती परिवार ने 2 साल उनका कोचीन और खर्च उठाया था।
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घायल होने के बावजूद दी यूपीएससी की परीक्षा:
साफिन हसन तो प्रतिभाशाली छात्र थे ही परंतु प्रतिभाशाली होने के साथ-साथ अपने लक्ष्य को पाने का जज्बा कूट-कूट कर भरा था जब वे अपनी यूपीएससी की परीक्षा का पहला अटेम्ट देने जा रहे थे तब उनका रास्ते में एक सड़क हादसा हो गया जिसके कारण उन्हें काफी चोट लगी और साथ ही शरीर लहूलुहान हो गया के बावजूद उन्होंने अपने को कमजोर नहीं होने दिया उन्होंने तुरंत पास की क्लीनिक में फर्स्ट एड लिया और उसी लहूलुहान अवस्था में परीक्षा केंद्र में जा पहुंचेअपने जिंदादिली का परिचय देते हुए उनकी इस अवस्था को देखकर के सारे शिक्षक और परीक्षार्थी दंग रह गए थे.
22 साल की उम्र में बने आईपीएस अधिकारी:
अपने मेहनत मजबूत इरादे और परिवार के संघर्ष को अपनी ताकत बना कर 2017 में साफिन हसन देश की सबसे कम उम्र के आईपीएस अधिकारी बन गए अपनी मेहनत और कठिन परिश्रम के दम पर देश की सबसे कठिन परीक्षा कहे जाने वाली यूपीएससी परीक्षा (safin hasan upsc rank) परीक्षा में 570 वी रैंक हासिल की और सबसे कम उम्र की भारतीय पुलिस सेवा की अधिकारी बन गए है.
देश के लाखों युवाओं के लिए पेश किया मिसाल:
सफिन हसन के संघर्ष और सफलता की कहानी देश के उन लाखों युवाओं को प्रेरणा देती है जो हर साल यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षा में भाग लेते हैं पर थोड़ी सी कठिनाई में अपना हौसला खो देते हैं और विपरीत हालातों से हार मानकर अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं. सफिन हसन की कहानी हमें बताती है कि कैसे कोई मनुष्य कड़ी मेहनत और अपने लक्ष्य के प्रति एक निष्ठा रख के कठिन से कठिन लक्ष्य को भी हासिल कर सकता है. दोस्तों आपको बता दे की साफिन हसन भी इतनी आसानी से एक आईपीएस ऑफिसर नहीं बने बल्कि एक आईपीएस ऑफिसर बनने के लिए ना जाने उन्होंने कितने त्याग और बलिदान दिए, न जाने कितने दिन भूखे सोएऔर अपने सपनों को साकार करने के लिए न जाने कितनी बार उन्हें रोटी तक नसीब नहीं हुई.
सफिन हसन अपने जीवन में सबसे बड़ी प्रेरणा अपने माता पिता को मानते हैं अपने माता-पिता के संघर्ष और तकलीफों को देखकर ही उन्होंने एक उच्च अधिकारी बनने की सोची थी और आखिरकार अपने और अपने परिवार का सपना पूरा किया. साफिन मानते हैं अगर आपको यूपीएससी की परीक्षा को पास करना है तो आपको त्याग करना होगा और यह त्याग उन सभी चीजों का होगा आपको अपने सपनों और लक्ष्य तक पहुंचने से रोक सकती है.
सफिन हसन कहते हैं " अगर ऐसे ही बिना किसी मेहनत व त्याग के लोग आईएएस और आईपीएस बन जाते तो हर कोई आईएएस ,आईपीएस बन जाता. सफिन हसन जैसे युवाओं ने देश के लाखों युवाओं के सामने मिसाल पेश की है कि उनके जैसा हर युवा कड़ी मेहनत और परिश्रम के दम पर यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षाओं को भी पहले अटेम्प्ट में बड़ी आसानी से पास कर सकता है.