Ads Area

क्यों शेर है दुनिया का सर्वश्रेष्ठ जानवर | Information About Lion In Hindi

शेर के बारे में रोचक जानकारी | Information About Lion In Hindi


दोस्तो मैं आपको आज आपको जंगल के राजा शेर के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां  देने जा रहा हूँ   , हमें उम्मीद है आपको यह  जानकारिया पसंद आएँगी और आपके ज्ञान में बढ़ोतरी होगी।

Information About Lion In Hindi



एक वयस्क नर शेर अपने प्रकितिक आवास में. 

Information About Lion In Hindi


शेर बिल्ली प्रजाति का दूसरा सबसे बड़ा जीव हैं  शेर एक स्तनपाई प्राणी ( mammal)  होता हैं। इसका वैज्ञानिक नाम ( scientific name) पेंथेरा लियो (panthera leo)  होता हैं।आज जितनी भी शेर की प्रजातियां हैं उनमे अफ्रीकन शेर सबसे बड़ा और भारी  होता हैं। 

एक व्यस्य नर अफ्रीकी शेर का वजन १८० किलो से लेकर २२५  किलो  तक हो सकता  हैं और मूंछ  से लेकर पूंछ  तक की लम्बाई १० फुट तक हो सकती हैं और जमीन से लेकर कंधे तक की  ऊंचाई ४ फुट होती हैं.मादा शेरनी नर शेर के मुकाबले में २५ से ३० प्रतिशत  तक  छोटी होती हैं मादा शेरनी का वजन १३० किलो लेकर १६० किलो तक होता हैं।

शेर का आकार 
शेर का मुख्य हथियार उनके जबड़े और पंजे होते हैं  जिससे वे अपने शिकार को मारते हैं शेर के जबड़े में ३०  दाँत  होते हैं जिनमे  ४ कैनाइन दाँत, १२  incisors , 10 molar , और  4 moler दाँत  होते हैं.
शेर के केनाइन दाँत ३ इंच से भी ज्यादा लम्बे हो सकते हैं ,शेर अपने शिकार  को मरने के लिए अपने ३ इंच लम्बे कैनाइन  दाँतो का इस्तेमाल , मांश को फाड़ने के लिए incisors  दाँतो , और मांश को चबाने के जबड़े के पिछले भागो में स्तिथ  moler दांत जिन्हें  carnessial  teeth  भी  कहते हैं उनका इस्तेमाल करते हैं.
शेर के जबड़े में काटने की जबरदस्त क्षमता होती हैं शेर के काटने की क्षमता ७०० psi  से लेकर १००० psi  तक होती हैं।

शेर  के विभिन्न दांत 


शेर के पंजे में  ४ इंच लम्बे हुक की तरह मुड़े हुये नाखून होते हैं  जिनका इस्तेमाल ये अपने शिकार को पकड़ने और आपसी लड़ाई में एक दूसरे को घायल  करने में करते हैं।  एक शेर के पंजे का आकर किसी इंसान के हाथ से  भी बड़ा हो सकता हैं , शेरो के पंजे गद्देदार  होते हैं  जिसके कारन इनके चलने पर आवाज नहीं होती हैं।


शेर का पंजा और नाखून 
                                      
शेर एक घात  लगाकर शिकार करने वाला  मांशाहारी प्राणी हैं  शेर छिप  के अपने  शिकार के ३० मीटर  तक नजदीक  पहुँच जाता हैं फिर उस पर ८० किलो मीटर / घंटे की रफ़्तार से झपट पड़ता हैं , शेर  अपने शिकार के गले में वार करके उसके शवाँस नली को अपने ३  इंच  लम्बे कैनाइन दाँतो  से  दबाकर कर उसका दम घोंट देता हैं.

अपने शिकार का दम घोंटता हुआ 


शेर खाद्य  श्रृंखला में सबसे उपर  होते  हैं।  शेर मुख्य  रूप से हिरन, जेब्रा ,केप भैंसो और बिल्डरबीस्ट  का शिकार करते हैं लेकिन झुण्ड में साथ  होने पर  ये बड़े जानवरो जैसे  हाथी , जिराफ , दरियाई घोड़े  और  गैंडे तक का शिकार कर लेतें हैं.एक नर शेर दिन में २० घंटे तक सोते हैं,



शेर मुख्य  रूप से  रात में शिकार  करते हैं. शेर मुख्या रूप से अफ्रीका और भारत के गिर फारेस्ट जो गुजरात में हैं  वहा पाए जाते हैं। शेर अफ्रीका के सवाना के घास के मैदानों में शिकार करते है।



शेर का प्राकृतिक आवाश अफ्रीका और भारत के गिर फारेस्ट में

शेर एक सामजिक प्राणी हैं  जो झुंड में रहता हैं।  शेर एकमात्र ऐसी बड़ी बिल्लिया हैं जो झुण्ड में रहती हैं  शेरो के झुंड को pride  कहते हैं शेरो के झुण्ड में सदस्यों की संख्या 30  तक हो सकती हैं
शेरो  के झुण्ड में नर शेर मुखिया होता हैं  जो झुण्ड के शेरो की  बाहरी शेरो से रक्षा करता हैं, नर शेरो  का मुख्य  काम प्रजनन करना और अपने झुण्ड की रक्षा करना होता हैं।
एक नर शेर अपने इलाके को लेकर काफी आक्रामक होता हैं ये अपने इलाके में किसी बाहरी और दूसरे झुण्ड के शेर को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते हैं। 
एक नर शेर का इलाका १०० स्क्वायर माइल्स से भी बड़ा  होता हैं और ये अपने इलाके में हमेशा गस्त लगाते रहते हैं और अपनी दहाड़ मारकर दूसरे शेरो को  इस इलाके से दूर ही रहने की चेतावनी देते हैं
शेर आमतौर पर अपने पेशाब से अपने इलाके में गंध लगते हैं ताकि दूसरे शेर अगर उस इलाके में घुसे तो उन्हें पता चल जाये की इस इलाके का मालिक कोई और शेर हैं। 


अपने इलाके की गंध लगता एक नर शेर 


झुण्ड में  शिकार  करने काम शेरनिया करती हैं , शेरनिया, शेरो के  मुकाबले छोटी  होती हैं पर ज्यादा फुर्तीली और तेज़ होती हैं इसलिए शिकार का काम शेरनिया ही करती हैं।
शेर बड़े ही सामजिक होते  हैं झुण्ड में बच्चे  पालने  का काम सभी शेरनिया मिल कर करती हैं  ऐसा भी देखने में आया है ही एक शेरनी अपनी ही झुण्ड को दूसरे शेरनी के बच्चे को दूध पिलाती हैं और  पालती  हैं  इनके झुण्ड में  माँ , बेटियाँ , और नानी तक सभी साथ में मिलकर  रहती हैं।

शेर अपनी झुण्ड में शेरनियों के साथ। 


शेर का जीवन :




शेरनियों का गर्भकाल १०५ दिन से लेकर ११० दिन तक होता हैं  मादा शेर  एक बार में २ से लेकर ६ बच्चो को जन्म देती हैं   शेरो  के बच्चो को CUB  कहते हैं.

प्रसव के समय शेरनी अपने झुण्ड से अलग हो जाती हैं और किसी दूसरे सुरक्षित  स्थान पर बच्चो को जन्म  देती हैं।  जन्म  के समय बच्चो के आँख नहीं खुले होते हैं  और  वे चलने में भी असमर्थ होते हैं इसलिए शेरनिया उन्हें  अपने मुँह में दबाकर एक जगह से दूसरे जगह ले जाती हैं। जब बच्चो की आंख खुल जाती हैं और  वे चलने लगते हैं तब माँ शेरनी अपने बच्चो को उनके पिता से मिलवाने के लिए वापस उन्हें झुण्ड में  ले जाती हैं  और उनके पिता के साथ साथ   झुण्ड के बाकि सदस्यों से भी उनकी भेंट करवाती हैं।

शेर के बच्चे अपनी माँ के साथ 
मादा बच्चे अपने माँ के साथ झुण्ड में पूरी जिंदगी रहती हैं लेकिन नर बच्चो को २. ५  से लेकर ३ साल की उम्र  में  अपना झुण्ड छोड़ना पड़ता हैं।



झुण्ड का मुखिया नर शेर अपने  बच्चो को २. ५  से लेकर ३ साल की उम्र  में अपने ही झुण्ड से  तथा  आपने इलाके से बाहर  खदेड़ देता हैं  अपने ही झुण्ड से भागा  देने के बाद  वह युवा शेर  , एक घुम्मकड़ शेर का जीवन बिताता हैं , और अपने पिता के  इलाके के आस पास ही  रहकर शिकार करता हैं


ऐसे  में , अगर उस युवा घुम्मकड़ शेर को उसके ही  जैसे दूसरा कोई घुम्मकड़ शेर मिलता है तो वह शेर  उन शेरो से दोस्ती कर एक ग्रुप बना लेता  हैं  जीससे उन्हें शिकार करने में और दूसरे झुंड  के के मुखिया शेर को हरा कर उसके झुंड  पर कब्ज़ा करने में आसानी होती हैं.

झुण्ड से भगा दिए जाने बाद युवा नर शेर खुद से शिकार करता हैं और तक़रीबन १ साल तकअपनी ताकत बढ़ाता हैं.
करीब ४ से ४. ५ साल की  उम्र में शेर पूरी तरह सेक्सुअली परिपक़्व हो जाता हैं और तब जाकर वह किसी दूसरे शेर के इलाके में घुसकर उस इलाके के मालिक शेर को चुन्नौती  देता हैं. इस तरह इलाके के मालिक शेर और बी बाहरी शेर में जबरदस्त लड़ाई होती हैं जिसमे किसी भी शेर की जान  जा सकती  हैं  .
 इलाके और शेरनियों के कारण  लड़ते दो शेर. 

अगर  उस  इलाके का मालिक शेर उस शेर से लड़ाई में हार  जाता हैं  है तो उसके  पास दो ही चारा बचता हैं  या तो वह अपनी हार मान कर अपने इलाके और झुण्ड को छोड़ के भाग जाये  या फिर उस युवा  बहरी शेर के हाथो मारा  जाये। झुण्ड के मालिक शेर को हारने के बाद  , बाहरी शेर सबसे पहले झुण्ड में रहने वाले छोटे  बच्चे  जो मुखिया शेर के  बच्चे होते  हैं उनकी निर्दयता पूर्वक हत्या कर देता हैं  ताकि  वह अपने बच्चे पैदा कर सके।


नया विजेता  शेर पिछले शेर के बच्चो की हत्या करता हुआ 


फिर वह शेर पिछले शेर की बच्चो की हत्या कर आपने बच्चे पैदा करता है और  उस  झुण्ड का मालिक बन आपने बच्चो और झुण्ड की रक्षा करता है।

शेर ४ साल की उम्र  से लेकर ८ साल की उम्र तक अपने झुण्ड का मुखिया बना रह सकता हैं इस बीच उसे अनेको बार बाहरी शेरो से लड़ना पड़ता हैं  ताकि  वह अपने बच्चो ,शेरनियों, और खुद को बचा सके.



पर किसी भी शेर के  जीवन का अंत बहुत बुरा ही होता हैं   वह जैसे ,जैसे बूढ़ा होता जाता हैं उसकी ताकत कम होती जाती हैं  ऐसे में वह नए युवा बाहरी शेरो से लड़ने और अपने झुण्ड को बचाने  में असमर्थ हो जाता हैं

कुछ साल अपने झुण्ड में राज करने के बाद उस शेर का  अंत भी पहले वाले शेरो की तरह ही होता हैं  , बुढ़ापे में  या  तो उसे दुसरो  शेरो द्वारा मार  दिया जाता हैं  या उसे अपने इलाके से खदेड़ दिया जाता हैं  जिसका अंत भी उसके मौत से ही  होता हैं.


नए शेर द्वारा लड़ाई में हार जाने के बाद घायल शेर अपने जीवन के अंतिम समय में. 

हमारे देश भारत के गुजरात राज्य में आज भी  एशियाइ शेरो की प्रजाति पायी जाती हैं  जो गिर के जंगलो में रहते हैं।  एशियाइ  शेर , अफ्रीकन शेरो की तुलना में थोड़े छोटे और हलके होते हैं इनके आयल भी अफ्रीकन शेरो की तुलना में छोटी  होती हैं।  एशियाइ शेरो के झुण्ड में सदस्यों की संख्या  भी अफ़्रीकी शेरो की  झुण्ड के सदस्यों से कम होती हैं।  एशियाइ  शेरो और अफ्रीकन शेरो के बीच अंतर आप उनके पेट की नीचे की चमड़ी को देख के लगा सकते हैं  एशियाइ शेर की पेट की निचे की चमड़ी ,अफ़्रीकी शेर की चमड़ी के तुलना में ज्यादा फैली और बड़ी होती हैं।


एक नर अफ़्रीकी शेर. 
एक नर एशियाइ शेर. 
                                                          
ज दुनिया  भर में शेरो की संख्या मात्र  २०००० हजार  से लेकर  ३५००० हज़ार तक बची हैं।  एक सदी पहले तक पुरे अफ्रीका में ही शेरो की सँख्या २ लाख से अधिक थी  पर जैसे ,जैसे  अफ्रीकी देशो की उन्नति होती गयी , शेरो का आवाश उनसे छीन  लिए गया  यही उनकी आबादी के घटने का मुख्य कारन है
इसके अलावा  अफ्रीका के  विभिन   भागो में शौक के लिए शेरो का बड़ी संख्या में शिकार हुआ जिसके कारन उनकी आबादी क्रमश काम होती गयी  इन  कारणों  आलावा  भी  कुछ कारण  है जिनके कारन शेरो की आबादी काम होती गयी  जैसे  १९७० दशक में  मखियो द्वारा फैलाई  गयी बीमारियों की वजह हज़ारो शेरो की मृत्यु अफ्रीका में हो गयी।



 Internation  Union for  Conservation Nature  ( IUCN)  के एक  रिपोर्ट के अनुसार में  शेरो की संख्या अब 24000  से लेकर ३९००० हज़ार के बीच बची हैं।



आज हमारे देश में एशियाइ शेरो की अंतिम आबादी बची हैं आज गिर के जंगलो में एशियाइ शेरो की आबादी मात्रा ६५० के आस पास बची हैं।   एशियाइ शेर कभी विलुप्त होने कगार पर पहुँच गए थे  लेकिन भारत सरकार के कोशिशों के कारण ही  इन्हे विलुपता होने से बचाया जा सका हैं  और इनकी आबादी में बढ़ोतरी हुई।



शेर अपनी ताकत ,साहस,बहादुरी, और शाहीपन के लिए जाना जाता हैं  जिस प्रकार किसी राजा  में ये सभी गुण  होने चाहिये तभी वह राजा बनता हैं ठीक  प्रकार  शेर के   इन्ही गुणों  के कारन  उसे जंगल और  जानवरो  का  राजा कहा जाता है.
 
     IMAGE SOURCE : GOOGLE IMAGES

Top Post Ad

Below Post Ad