Ads Area

Motivation in Hindi story | Story of Motivation in Hindi | प्रेरणा देने वाली कहानियां

Motivation in Hindi story | Story of Motivation in Hindi | प्रेरणा देने वाली कहानियां 


दोस्तों हमारी जिंदगी में किस्से और कहानियों motivation in hindi story का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है, किस्से और कहानियां  सिर्फ मनोरंजन का एक साधन ही नहीं है बल्कि  ये हमें बचपन से ही  हमें अनेकों सीख देती है जिससे हम अपनी जिंदगी को बनाते हैं.  दोस्तों हमारी जिंदगी में   प्रेरणा देने वाली कहानियों का (motivational stories in hindi) बहुत बड़ा योगदान  होता है।  प्रेरणात्मक कहानियां  जीवन के  बड़े-बड़े सीख  हमें ऐसे हंसते खेलते ही  सिखा देती हैं.


 दोस्तों आज के इस पोस्ट में मैं आपके लिए कुछ  ऐसे ही प्रेरणात्मक कहनियो (motivational stories in hindi) को लेकर आया हूँ  जो आपको जो आपको प्रेरणा देने के साथ साथ कुछ ऐसी सीख भी देंगी जिन्हे वास्तविक जीवन में अपना कर हम अपना जीवन बदल सकते हैं. 



MOTIVATIONAL STORY IN HINDI-1

(किसान और उसके बेटे  की सिख) 

  ये कहानी कहानी आपको दुनिया की बातो से बचना सीखा देगी 

         

एक समय की  बात हैं एक किशन और उसका बेटा किसी व्यापर के सिलसिले से गांव से शहर जा रहे थे। शहर उनके गांव से काफी दूर था इसलिए किसान ने अपने साथ एक गधा लिए हुआ था और पीठ पर किसान  ने अपना थोड़ा सामान रखा हुआ था. जैसा की शहर  गांव से काफी दूर था दोनों बाप ,बेटे पैदल चलते चलते काफी थक  चुके थे.  जब किसान ने देखा की उसका बेटा  काफी थक हैं तो  उसने अपने बेटे से कहा ,बेटा तुम काफी थक चुके हो इसलिए तुम इस गधे पर बैठ जाओ ,तुम्हे थोड़ा आराम मिलेगा। अपने पिता की ये बात  सुनकर किसान का बेटा उस गधे पर बैठ  गया  और गधा उसे लेकर चलने लगा. 


1


अभी वे कुछ दूर आगे बढे ही थे की उन्हें दूसरी तरफ से एक मुशाफिर आता हुआ दिखाई दिया और जब  मुशाफिर ने उन्हें   देखा तो देखा की  बेटा गधा पर बैठा हुआ और पिता पैदल चाल रहा हैं तब  मुशाफिर ने उनसे कहा की कैसा बेटा  है जो खुद आराम से गधे पर बैठा हैं और पिता को गर्मी में पैदल चलवा  रहा हैं , यह कह के वह मुशाफिर आगे बढ़ गया।  जब उसके बेटे ने यह बात सुनी तो उसे काफी शर्म  आयी  और उसने  खुद गधे की पीठ से उतरकर अपने पिता को गधे की पीठ पर बैठा दिया। अब पिता आराम से गधे की पीठ पर बैठा था और उसका बेटा पैदल चल रहा था। 



अभी वे  बस थोड़ी दूर आगे बढे ही थे  उन्हें एक दुसरा मुशाफिर आता हुआ दिखाई दिया , जब दूसरे मुशाफिर  ने उन बाप बेटेे को देखा तो कहा कैसा बाप हैं खुद बड़े  आराम से गधे की सवारी कर रहा हैं और आपने बेटे को पैदल चलवा रहा हैं ,यह कह कर वह मुशाफिर आगे बढ़ गया जब यह बात किसान ने सुना तो उसे काफी शर्म  लोग  उसके बारे में ऐसा बोल रहे हैं।तब किसान  ने   सोचा की क्यों न अपने बेटे को भी इस  गधे पर बैठा दू ताकि किसी को भी पैदल न चलना पड़े और लोगो की ये बातें  सुननी पड़ी इसके बाद उसने अपने बेटे  गधे पर बैठा लिए और बड़े आराम से शहर की और जाने लगा। अब परिस्थिति ऐसी थी की कोई भी पैदल नहीं चल रहा था ,दोनों बाप  बेटे गधे की पीठ पर बड़े  से बैठे हुए थे। 

थोड़ी देर बाद दूसरी तरफ से एक तीसरा मुशाफिर आते दिखाई पड़ा जब तीसरे मुशाफिर ने उन बाप बेटे को देखा तो कहा, ये दोनों कैसे निर्दयी इंसान हैं जो इस भरी गर्मी में   इस बेचारे गधे पर लाद के बैठे हुए हैं , इस गधे को तो इन दोनों इंसानो से तो भगवन ही बचाये।  यह कह कर वह मुशाफिर भी चलता बना .  जब यह बात उन बाप बेटे ने सुनी तो उन्हें काफी शर्म आयी और वो दोनों उस गधे पर से निचे उतर कर पैदल ही चलने लगे। अब परिस्तिथि ऐसी थी को दोनों बाप बेटे पैदल चल रहे थे और वो गधा बिना कुछ उठाये. थोड़ी देर बाद उन्हें एक चौथा मुशाफिर उन्हें दूसरी तरफ  आता हुआ दीखता हैं  और जब  मुसाफिर उन बाप बेटे को देखता है तो कहता की कैसे मुर्ख इंसान है जो गधे की  सवारी होते हुए भी इस गर्मी में पैदल चल रहे हैं. 


चौथे मुशाफिर  की बात सुनकर इस बार दोनों बाप बेटे सोच मे पड़ जाते है की अब क्या किआ जाये।  अगर बेटा गधे पर  बैठता है तो लोग उसे बुरा कहते हैं और अगर बाप गधे पर बैठता है लोग उसे बुरा कहते हैं और अगर दोनों साथ बैठ जाये तो लोग उन दोनों की बुराई करते हैं और अगर कोई न बैठे तो लोग उन दोनों मुर्ख कहते हैं। 

 इतने मै एक पांचवा मुसाफिर आता हैं और उन दोनों की बाते सुनकर उन्हें बताता है की देखो भाई ये दुनिया हैं और  यहाँ हर इंसान अलग तरह की बात करता हैं और किस किस की बातें सुनेंगे।  अगर आप अच्छा काम भी काम करते है तो हो सकें  वह किसी को बुरा लगे और अगर ख़राब काम भी करते तो हो सके वो किसी को अच्छा लगे. दुनिया में करोड़ो इंसान है और करोड़ो किस्म की बातें है आप किस किस  को सुनेंगे , सही यह हैं की इन बातो से बचा जाये और अपने दिल और दिमाग की बात सुनी जाए. 


<


पाचवे मुसाफिर की ये बात सुनकर किसान और उसका बेटा समझ गए की हम जो कुछ  भी करे दुनिया के लोग उसमे कमी और दोष निकलते रहेंगे इसलिए  वो दोनों उस गधे को वही छोर पैदल ही शहर की निकाल पड़े. 

कहानी से सिख : दोस्तों इस कहानी से हमे यह सिख मिलती है की हम कुछ भी करे लोग  दूसरे लोग अपनी दुनिया भर की बातो से हमे गलत साबित करने में लगे ही रहेंगे पर जररूत हैं  इन बातो से बचकर अपने दिल और दिमाग की बात सुन सही रास्ते पर आगे बढ़ते रहना। 



         MOTIVATIONAL STORY IN HINDI  -2

यह कहानी आपको मेहनत करने के लिए मज़बूर कर देगी।

 (भारद्वाज की सीख) 


बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक  गुरुकुल था जहां आने को विद्यार्थी पढ़ाई किया करते हैं  उसी गुरुकुल में एक भरद्वाज नाम का लड़का था जो पढ़ने में काफी कमजोर है उसे कुछ भी समझ में नहीं आता  था जिसके कारण  उसके सहपाठी  हमेशा उसका मजाक उड़ाया करते थे.  एक दिन गुरुकुल के गुरुजी ने सभी विद्यार्थियों की  की परीक्षा  लेने के लिए उन्हें अगले दिन एक पाठ याद कर के आने को कहा. अगले दिन सभी विद्यार्थी वह पाठ याद करके आते है और गुरु को सुनाते है परंतु जब भारद्वाज की बारी आती है  तब वह एक शब्द भी  अपने पाठ का गुरु जी को नहीं सुना पाता है जिसके कारण गुरुजी उसे खूब डांट लगाते हैं और उसे अगले दिन तक की मोहलत देते हैं.


अगले दिन भारद्वाज  गुरुकुल पहुंचता है और  गुरुजी फिर उसे वही पाठ सुनाने को कहते हैं लेकिन आज फिर भारद्वाज अपना  पूरा पाठ  गुरु जी को नहीं सुना पाता है   जिसके कारण गुरुजी  फिर उसे आज खूब जोरदार  डांट लगाते हैं।  गुरु जी के दांत लगाने के बाद भारद्वाज के सहपाठी मित्र भी भारद्वाज को बेवकूफ, बेअकल और  मूर्ख  कह कर उसे  चिढ़ाने लगते हैं.जिसके कारण वह छोटा बालक भरद्वाज थोड़ी देर बाद जयपुर से भाग निकलता है और  यह निर्णय कर लेता है  कि वह  अब गुरुकुल में और नहीं पढ़ेगा और अपने घर चला जाएगा।

 गुरुकुल से भागने के बाद उसे रास्ते में भूख लगती है और वह अपने पास  मौजूद थोड़ी सी सत्तू को खाने लगता हैं।  सत्तू खाने के बाद  वह पानी पीने के लिए पास के एक कुएं के पास जाता है  और वहां कुएँ पर  रखी रस्सी में बंधी पानी की बाल्टी से कुएं के पानी को खींच कर अपनी प्यास बुझाता है.  पानी पिने के बाद भारद्वाज देखता हैं की बार-बार  रस्सी के खींचने से कुएं के पत्थरों पर निशान पड़ गए हैं तब भारद्वाज को  अपने गुरुकुल की बात याद आती है और वह सोचता है कि बार-बार खींचने से  अगर इस कोमल रस्सी से  पत्थर पर निशान पढ़ सकते हैं तो क्या मैं बार-बार  प्रयत्न करके अपना पाठ याद नहीं कर सकता।इसके बाद भरद्वाज अपने घर जाने का विचार छोड़ देता है और पुनः अपने गुरुकुल लौट जाता है.

 गुरुकुल पहुंचने के बाद  भारद्वाज अत्यंत मन लगाकर  बार-बार प्रयत्न करें अपने पास तो याद करता है और अंत में उसे  कंठस्थ कर लेता है  और बाद में अपने गुरुकुल की परीक्षा में सबसे अधिक  अंको से  उत्रिन होता है.

कहानी से सीख :  दोस्तों  यह कहानी हमें  बार-बार प्रयत्न करने और जिंदगी में कभी भी  हार ना मानने की प्रेरणा देती।  दोस्तों जिस प्रकार  रस्सी से बार-बार प्रहार से कठोर पत्थर भी  कट जाते हैं  ठीक उसी प्रकार अगर हम बार-बार  प्रयत्न करें  किसी भी लक्ष्य को पा सकते हैं. 

दोस्तों इस संबंध में एक बहुत ही महत्वपूर्ण कहावत है:

“  करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान 

 रसरी आवत जात ते शिल पर परत निशान  ”



MOTIVATIONAL STORY IN HINDI-3

यह कहानी आपको अपना काम करने  के लिए मज़बूर कर देगी।

        (अपना काम अपने आप करने में लाज कैसे)


एक बार एक ट्रेन बंगाल में एक देहाती स्टेशन पर रुकी  गाड़ी रुकते ही एक  सजे धजे है युवक ने  कुली कुली पुकारना  प्रारंभ किया युवक ने बढ़िया पतलून पहन रखा था पतलून के रंग का है उसका कोर्ट था सिर पर  हैट था  गले में टाई  बंदी थी बनती थी और उसका बूट चम चम चमक रहा था  देहात के स्टेशन पर कुली तो होते नहीं  बेचारा युवक बार-बार पुकारता था और इधर उधर  हैरान होकर देखता था उसी समय वहां शादी स्वच्छ कपड़े पहने एक सज्जन है  उन्होंने युवक का समान उतार लिया युवक ने उनको कुली समझा   युवक बोला तुम लोग बड़े सुस्त हो मैं  कब से पुकार लगा रहा हूं


उस सज्जन ने कोई उत्तर नहीं दिया युवक के पास हाथ में ले चलने का एक छोटा सा हैंड बैग था  और एक छोटा सा बंडल था उस से लेकर युवक के पीछे पीछे हुए उसके घर तक गए  घर पहुंचकर युवक ने  उन्हें देने के लिए पैसा निकालें  लेकिन पैसा लेने के बदले  सुबह सज्जन पीछे  लौटते हुए बोले बोलो धन्यवाद! युवक का बड़ा आश्चर्य हुआ यह कैसा कुली है कि  बुझा ठोकर कभी पैसा नहीं लेता और उल्टे धन्यवाद देता है उस समय वहां उस युवक का बड़ा भाई आ गया उसने जो उन सज्जन की ओर देखा तो ठक से रह गया  उसके मुख से केवल इतना निकला आप

युवक का पता लगा कि जिससे उसने कुली समझ कर डांटा था और जो उसका सामान उठाया लाया था वे दूसरे कोई नहीं,  वह तो बंगाल के प्रसिद्ध महापुरुष पंडित  ईश्वर चंद विद्यासागर जी है  उनके चरणों पर गिर पड़ा और  क्षमा मांगने लगा . ईश्वरचंद्रजी ने उसे उठाया और कहां  इसमें क्षमा मांगने की कोई बात नहीं है हम सब भारतवासी हैं हमारा देश अभी गरीब है हमें अपने  हाथ से अपना काम करने में लजा क्यों करनी चाहिए  अपना काम कर लेना तो संपन्न देशों में भी गौरव की बात मानी जाती है

Top Post Ad

Below Post Ad