Best Moral stories in hindi.
बेहतरीन कहानियाँ जो आपके चरित्र बदल सकती हैं.
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भगवान बुध के एक शिष्य ने एक दिन भगवान के चरणों में प्रणाम किया और वह हाथ जोड़े खड़ा हो गया भगवान ने उससे पूछा तुम क्या चाहते हो
शिष्य - यदि भगवान आज्ञा दे तो मैं देश में घूमना चाहता हूं
भगवान- लोगों में अच्छे बुरे सब प्रकार के मनुष्य होते हैं बुरे लोग तुम्हारी निंदा करेंगे और तुम्हें गालियां देंगे उस समय तुम्हें कैसा लगेगा
शिष्य- मैं समझ लूंगा कि वे लोग बहुत भले लोग हैं क्योंकि उन्होंने मुझ पर धूल नहीं फेंकी और मुझे थप्पड़ नहीं मारे
भगवान- उनमें से कुछ लोग धूल भी फेंक सकते हैं और थप्पड़ भी मारते हैं
शिष्य- मैं उन्हें भी इसलिए भला समझूंगा की वे मुझे डंडे नहीं मारते
भगवान- डंडे मारने वाले भी दस पांच मनुष्य मिल सकते हैं
शिष्य- वह मुझे हथियारों से नहीं मारते इसलिए वह मुझे भले जान पड़ेंगे
भगवान- देश बहुत बड़ा है जंगलों में ठग और डाकू रहते हैं डाकू तुम्हें हथियारों से भी मार सकते हैं
शिष्य- वे डाकू भी मुझे दयालु जान पड़ेंगे क्योंकि उन्होंने मुझे जीवित तो छोड़ा
भगवान- यह कैसे जानते हो कि डाकू जीवित ही छोड़ देंगे वह मार भी डाल सकते हैं
शिष्य- यह संसार दुख स्वरूप है इसमें बहुत दिन जीने से दुख ही दुख होता है आत्महत्या करना तो महापाप है लेकिन कोई दूसरा मार दे तो यह तो उसकी दया ही है
शिष्य की बात सुनकर भगवान बुद्ध बहुत प्रसन्न हुए उन्होंने कहा अब तुम पर्यटन करने योग्य हो गए हो सच्चा साधु वही है जो कभी किसी दशा में किसी को बुरा नहीं कहता जो दूसरों की बुराई नहीं देखता जो सबको भला ही समझता है वही परिव्राजक होने योग्य है
दूसरों को बुरा समझने और दूसरों के दोष की छानबीन करना एक बहुत बड़ा दोष है इस दोष से सभी को बचे रहना चाहिए
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अपना काम अपने आप करने में लाज कैसे
एक बार एक ट्रेन बंगाल में एक देहाती स्टेशन पर रुकी गाड़ी रुकते ही एक सजे धजे है युवक ने कुली कुली पुकारना प्रारंभ किया युवक ने बढ़िया पतलून पहन रखा था पतलून के रंग का है उसका कोर्ट था सिर पर हैट था गले में टाई बंदी थी बनती थी और उसका बूट चम चम चमक रहा था देहात के स्टेशन पर कुली तो होते नहीं बेचारा युवक बार-बार पुकारता था और इधर उधर हैरान होकर देखता था उसी समय वहां शादी स्वच्छ कपड़े पहने एक सज्जन है उन्होंने युवक का समान उतार लिया युवक ने उनको कुली समझा युवक बोला तुम लोग बड़े सुस्त हो मैं कब से पुकार लगा रहा हूं
उस सज्जन ने कोई उत्तर नहीं दिया युवक के पास हाथ में ले चलने का एक छोटा सा हैंड बैग था और एक छोटा सा बंडल था उस से लेकर युवक के पीछे पीछे हुए उसके घर तक गए घर पहुंचकर युवक ने उन्हें देने के लिए पैसा निकालें लेकिन पैसा लेने के बदले सुबह सज्जन पीछे लौटते हुए बोले बोलो धन्यवाद!
युवक का बड़ा आश्चर्य हुआ यह कैसा कुली है कि बुझा ठोकर कभी पैसा नहीं लेता और उल्टे धन्यवाद देता है उस समय वहां उस युवक का बड़ा भाई आ गया उसने जो उन सज्जन की ओर देखा तो ठक से रह गया उसके मुख से केवल इतना निकला आप
युवक का पता लगा कि जिससे उसने कुली समझ कर डांटा था और जो उसका सामान उठाया लाया था वे दूसरे कोई नहीं, वह तो बंगाल के प्रसिद्ध महापुरुष पंडित ईश्वर चंद विद्यासागर जी है उनके चरणों पर गिर पड़ा और क्षमा मांगने लगा
ईश्वरचंद्रजी ने उसे उठाया और कहां इसमें क्षमा मांगने की कोई बात नहीं है हम सब भारतवासी हैं हमारा देश अभी गरीब है हमें अपने हाथ से अपना काम करने में लजा क्यों करनी चाहिए अपना काम कर लेना तो संपन्न देशों में भी गौरव की बात मानी जाती है