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Short story in Hindi- मरकर आदमी कहां गया

 

Short story in Hindi


दोस्तों आज  मैं आपके लिए कुछ प्रेरणदायी और ज्ञानवर्धक  कहानियों  को लाया हूँ जिसे पढ़ कर Short story in Hindi आपको ज्ञान और प्रेरणा मिलेंगे। 


Short story in Hindi


Short story in Hindi

1.

बुद्दिमान व्यवसायी 


एक बंजारा था वह बैल मेट ( मुल्तानी मिट्टी) लेकर कर दिल्ली की तरफ आ रहा था  रास्ते में कई गांव से गुजरते समय उसकी बहुत मेंट बिक गई ,  बैलों की पीठ पर लादे बोरे  आधे तो खाली हो गए थे और आधे भरा रह गए थे  अबे बालों की पीठ पर टिके कैसे  क्योंकि भार एक तरफ हो गया, नौकरों ने पूछा कि क्या करें बंजारा  ओला अरे सोचते क्या हो  बोरे  के एक तरफ  रेत भर दो यह राजस्थान की जमीन है यहां रेत बहुत है  नाकरो ने वैसा ही किया। 

 बैलों की पीठ पर एक तरफ आधे बोरे में  मेट हो गई  और दूसरी तरफ आधे बोरे  मैं  रेत हो गई  दिल्ली से एक सज्जन आ रहे थे उन्होंने  बैलों पर लदे बोरे में से  एक तरफ  रेट झड़ते हुए देखी  तो वह बोले कि बोरे में  एक तरफ रेत क्यों भरी है नाकरो ने कहा  संतुलन करने के लिए , वे सज्जन बोले अरे या तुम क्या मूर्खता करते हो तुम्हारा मालिक और तुम एक से ही  हो,  बेलो पर मुफ्त में ही  भारदो कर उनको मार रहे हो, मेट के आधे आधे दो बोरो को  एक ही जगह बांध दो कम से कम आधे बैल तो बिना भार के खुले चलेंगे।


नौकर ने कहा कि आपकी बात ठीक  जचती है  पर हम वही करेंगे जो हमारा मालिक कहेगा आप जाकर हमारे मालिक से यह बात कहो  और उनसे हमें  हुकुम  दिलवाओ  बंजारे ने पूछा कि आप कहां के हैं  कहां जा रहे हैं  उसने कहा कि मैं भिवानी का रहने वाला हूं  रुपए कमाने के लिए दिल्ली गया था  कुछ दिन  वहां रहा फिर बीमार हो गया  जो थोड़े रुपए कमाए थे वह खर्च हो गए  व्यापार में घाटा लग गया कुछ नहीं रहा तो विचार किया कि घर चलना चाहिए उसकी बात सुनकर बंजारा नौकरों से पूछा कि  इनकी समिति मत लो  अपने जैसे चलते हो वैसे ही चलो की बुद्धि तो अच्छी दिखती है पर उसका नतीजा ठीक नहीं निकलता, ठीक निकला तो यह धनवान हो जाते, हमारी बुद्धि भले ही ठीक ना दिखे पर उसका नतीजा ठीक होगा मैंने कभी अपने काम में घाटा नहीं खाया.


बंजारा अपने  बेलो को लेकर दिल्ली पहुंचा, वहां उसने जमीन खरीद कर  मैट और रेत दोनों का अलग-अलग ढेर लगा दिया  और नौकरों से कहा कि बैलों को जंगल में ले जाओ जहां चारा पानी हो वहां उनको रखो यहां उनको चारा खिलाएंगे तो  मुनाफा कैसे कमाएंगे मेट बिक्री शुरू हो गई उधर दिल्ली का बादशाह बीमार हो गया वैध  सलाह दी कि अगर बादशाह राजस्थान  के धोरे  पर रहे तो उनका शरीर ठीक हो जाएगा रेत में शरीर को निरोग करने की शक्ति होती है.

  अतः बादशाह को राजस्थान भेजो राजस्थान क्यों भेजो वहां की रेत यही मंगा लो ठीक बात है रेत लाने के लिए उठो को भेज दो ऊंट क्यों भेजे यही बाजार में रेट मिल जाएगीमजार में कैसे मिल जाएगी अरे दिल्ली का बाजार है यहां सब कुछ मिलता है मैंने चला रेत का ढेर लगा हुआ देखा है अच्छा तो फिर जल्दी से रेत मंगवा लो बादशाह के आदमी बंजारे के पास गए और उससे पूछा कि रेत का क्या भाव है बंजारा बोला  की  मैप खरीदो चाहे रेत खरीदो एक ही भाव है दोनों बैलों पर बराबर तुल कर आए हैं बादशाह के आदमियों ने वह सारे रेट खरीद  ली अगर बंजारा दिल्ली से आए उस सज्जन की बात मानता तो यह मुफ्त के रुपए कैसे मिलते  इससे  सिद्ध हुआ की बंजारे की बुद्धि ठीक काम करती थी.


 कहानी से   शिक्षा:

इस कहानी से  यह शिक्षा  लेनी चाहिए कि  लेनी चाहिए कि  जिन्होंने अपनी वास्तविक उन्नति कर ली है जिनका विवेक विकसित हो चुका है जिनका  तत्व का अनुभव हो चुका है जिन्होंने अपने दुख संताप अशांति आदि को मिटा दिया है ऐसे संत महात्माओं की बात मान लेनी चाहिए क्योंकि उनकी बुद्धि का नतीजा अच्छा हुआ है.  जैसे किसी ने व्यापार में बहुत धन कमाया हो तो वह जैसा कहें वैसा ही हम करेंगे तो हमें भी लाभ होगा.  उनको लाभ हुआ तो हमें लाभ क्यों नहीं होगा?  ऐसे ही हम संत महात्माओं की बात मानेंगे तो हमारे को भी अवश्य लाभ होगा  उनकी बात समझ में ना आए तो तब भी मान  लेनी चाहिए हमने आज तक अपनी समझ से काम किया तो कितना लाभ लिया है?  अपनी बुद्धि से अब तक हमने कितनी उन्नति की है. 


Short story in Hindi

2.

मरकर आदमी कहां गया


एक साधारण ब्राह्मण थे। वे काशी पढ़कर आये। सिरपरपुस्तकें लदी हुई थीं। शहरसे होकर निकले तो वर्षा आ गयी।पासमें छाता था नहीं। अतः एक मकानके दरवाजेके पास जगहदेखकर खड़े हो गये। उसके ऊपर एक वेश्या रहती थी। कुछआदमी 'रामनाम सत्य है' कहते हुए एक मुर्देको लेकर वहाँसेनिकले। उस वेश्याने आवाज देकर एक लड़कीसे कहा कि जा,पता लगाकर आ कि यह स्वर्गमें गया या नरकमें गया? 

लड़की चली गयी। पण्डितजीने सुना तो वहीं ठहर गये कि ऐसी कौनसी विद्या है, जिससे मरनेवालेका पता लग जाय कि वह कहाँ गया? थोड़ी देरमें वह लड़की आयी और वेश्यासे बोली कि यह तो नरकोंमें गया। इतनेमें दूसरा मुर्दा आया तो वेश्याने फिर लड़कीको भेजा। लड़कीने आकर कहा कि यह तो स्वर्गमें गया। पण्डितजीने विचार किया कि मैं इतने वर्ष काशी रहा, वहाँ कितनी पुस्तकें पढ़ीं, पर यह पता नहीं लगता कि मरनेवाला कहाँ गया? यह विद्या तो मेरेको सीखनी चाहिये।


पण्डितजी मकानके ऊपर चले गये। वेश्याने देखा तो पहचान लिया कि यह मेरा ग्राहक तो है नहीं। उसने पूछा कि यहाँ कैसे आये? पण्डितजी बोले-'माताजी! मैं । वेश्या बोली-मेरेको माताजी मत कहो, मैं तो एक वेश्या हूँ। पण्डितजी बोले-हमारे लिये तो माँ, बहन या बेटी ही हो! वेश्या बोली क्या बात है? पण्डितजीने कहा-तुमने लड़कीसे कहा कि पता लगाकर आओ, मरनेवाला कहाँ गया तो उसने आकर कहा कि एक नरकमें गया, एक स्वर्गमें गया, यह क्या विद्या है?

मैं जानना चाहता हूँ। वेश्याने उस लड़कीको बुलाया और कहा कि महाराजको बता, तूने कैसे परीक्षा की कि यह नरकमें गया, यह स्वर्गमें गया। वह कहने लगी कि महाराज! वे मुर्दा लिये जा रहे थे तो मैंने उनसे पूछा कि यह कहाँसे आया है, किस मोहल्लेका है? फिर मैं पता लगाकर उस मोहल्लेमें पहुँची तो लोगोंको रोते देखकर पता लगा कि इस घरका आदमी मर गया। उनके पड़ोसियोंके घर जाकर सुना तो लोग कह रहे थे कि वह आदमी मर गया तो हम निहाल हो गये!

 वह सबकी चुगली करता था, चोरी करा देता था, लड़ाई करा देता था, झूठी गवाही देकर फँसा देता था, बहुत दुःख देता था। मर गया तो बहुत अच्छा हुआ, आफत मिटी! ऐसी बातें मैंने कई घरोंमें सुनी तो आकर कहा कि वह नरकोंमें गया। दूसरा मुर्दा आया तो उसका भी पता लगाकर मैं उसके मोहल्लेमें गयी।


 वहाँ लोग बातें कर रहे थे कि राम-राम, गजब हो गया! वह आदमी तो हमारे मोहल्लेका एक प्रकाश था। वह सन्त-महात्माओंको बुलाया करता था, सत्संग कराता था, कोई बीमार हो जाय तो रातों जगता था, किसीपर कोई आफत आती तो उसकी तन-मन-धनसे सहायता करता था! वह चला गया तो हमारे मोहल्ले में अँधेरा हो गया! ऐसी बातें मैंने सुनी तो आकर कहा कि वह स्वर्गमें गया।

पण्डितजी बोले-अरे, ये बातें तो हमारी पुस्तकोंमें भी लिखी हैं कि अच्छे काम करनेवालेकी सद्गति होती है और बुरे काम करनेवालेकी दुर्गति होती है, पर यह बात हमारी अक्लमें ही नहीं आयी! 



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