Hima das motivational story
हिमा दास की प्रेरणादायक कहानी
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दोस्तों अगर आपको जिंदगी की रेस में जितना है Hima das motivational story तो आपको अपने पांव के छालों को नहीं बल्कि जीत की तरफ ध्यान देना पड़ेगा, दोस्तों जिस उम्र में आज के युवा tiktok, पब्जी और अन्य सोशल मीडिया एप्स के जरिए अपने जीवन को बड़े मौज से जीने में लगे हुए हैं ठीक उसी उम्र में एक लड़की अपने देश भारत का नाम पूरे दुनिया में रोशन करने के लिए जी जान से लगी हुई है.
दोस्तों आज की वह यह प्रेरणादायक कहानी हिमा दास Hima das motivational story की है जिन्हें लोग गोल्डन girl भी कहते हैं. हिमा दास वह शख्सियत है जिससे हमारे देश के सारे युवा प्रेरणा ले सकते हैं दोस्तों यह कहानी आपको यह बताएं कि कैसे एक लड़की जिसके पास दौड़ने के लिए जूते नहीं थे वही लडक़ी कैसे ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतती है और दुनिया के सबसे बड़े जूते कंपनियों में से एक का ब्रांड एंबेसडर बनती है. दोस्तों यह प्रेरणा स्त्रोत कहानी ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट भारतीय धावक हिमा दास की है जो एक छोटे से गांव से निकलकर पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन करती है.
मध्यवर्गीय परिवार और छोटे गांव से हुई जीवन की शुरुआत: भारतीय धावक हिमा दास का जन्म 9 जनवरी 2000 को असम राज्य के नागाव नामक जिले में हुआ था इनके पिता एक मध्यवर्ती साधारण परिवार में से थे जो खेती का काम करते थे हिमा का परिवार एक संयुक्त ग्रामीण परिवार था जिसमें 17 लोगों और 54 परिवार धान की खेती करता था.
हीमा आरंभिक समय उनके परिवार के साथ ही उन धान की खेती में बितता था हेमा अपने माता-पिता की सबसे छोटी संतान थी पर इस सबसे छोटे संतान की उपलब्धियां सबसे बड़ी थी.
Hima das motivational story
सपने देखने की शुरुआत:
सन 2016 मैं जवाहर मोदी विद्यालय के फिजिकल एजुकेशन के टीचर ने जब उन्हें फुटबॉल मैच के दौरान दौड़ते हुए देखा तो वह दंग रह गए. इसके बाद उन्होंने ही हिमा को फुटबॉल छोड़कर धावक बनने की सलाह दे डाली, PT टीचर शमशुल हक की सलाह पर उन्होंने दौड़ना शुरू कर दिया, हिमा दास की प्रतिभा को और निखारने के लिए समसुल हक ने हिमा दास का परिचय ओके स्पोर्ट्स एसोसिएशन के गौरी शंकर राय से करवाई, इन दोनों को कहने पर हीमा है जिला स्तर को एक स्पर्धा में भाग लिया शांताराम कुछ करना इस स्पर्धा में एक तरफ दामि और ब्रांडेड जुटे पहने प्रतियोगिता थे तो दूसरी तरफ पैसे ना होने के कारण सस्ते और लो क्वालिटी के जूते पहने हिमा भले ही हेमा के पास दूसरे की तरह अच्छे जूते नहीं थे पर उनके पास थी उनकी प्रतिभा, उनकी मेहनत और उनके मजबूत इरादे.
इस स्पर्धा में हीमा ने अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए सब को बड़ी आसानी से पछाड़ दिया और पहला का जलवा पायदान यानी 2 गोल्ड मेडल हासिल किया, इस प्रतिस्पर्धा के दौरान निपुण das जो एक........ थे उनकी नजर हीमां पर पड़े और वे हिमा की अद्भुत गति को देखकर हैरान थे , निपुण das हेमा को देखते ही उसके प्रतिभा को पहचान गया, अब मैं समझ गए hima का सही से मार्गदर्शन किया जाए तो वह पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर सकती है.निपुण das हीमा को छोटे से गांव से निकालकर ग्वाहाटी लेकर जाना चाहते थे ताकि वहां उनकी अच्छी सी ट्रेनिंग हो सके जब भी मां के परिवार वालों का इस बात का पता चल गया तो पहले उन्होंने मना कर दिया क्योंकि वह हिमा को गुवाहाटी ले जाने और उनकी ट्रेनिंगका खर्च वहन करने में असमर्थ है,इस बात का पता जब निपुण दास को चला तो उन्होंने सोचा कि वह बेशकीमती हीरे को इस तरह बेकार नहीं होने दे सकते फिर भी हिमा की घर गए और उनके परिवार वालों को इस बात के लिए राजी करवाया, साथ में ही हिमा के खर्च उठाने का भी वादा किया.
इस स्पर्धा में हीमा ने अपनी प्रतिभा को दिखाते हुए सब को बड़ी आसानी से पछाड़ दिया और पहला का जलवा पायदान यानी 2 गोल्ड मेडल हासिल किया, इस प्रतिस्पर्धा के दौरान निपुण das जो एक........ थे उनकी नजर हीमां पर पड़े और वे हिमा की अद्भुत गति को देखकर हैरान थे , निपुण das हेमा को देखते ही उसके प्रतिभा को पहचान गया, अब मैं समझ गए hima का सही से मार्गदर्शन किया जाए तो वह पूरी दुनिया में भारत का नाम रोशन कर सकती है.निपुण das हीमा को छोटे से गांव से निकालकर ग्वाहाटी लेकर जाना चाहते थे ताकि वहां उनकी अच्छी सी ट्रेनिंग हो सके जब भी मां के परिवार वालों का इस बात का पता चल गया तो पहले उन्होंने मना कर दिया क्योंकि वह हिमा को गुवाहाटी ले जाने और उनकी ट्रेनिंगका खर्च वहन करने में असमर्थ है,इस बात का पता जब निपुण दास को चला तो उन्होंने सोचा कि वह बेशकीमती हीरे को इस तरह बेकार नहीं होने दे सकते फिर भी हिमा की घर गए और उनके परिवार वालों को इस बात के लिए राजी करवाया, साथ में ही हिमा के खर्च उठाने का भी वादा किया.
बेहतरीन प्रेरणात्मक कहानियाँ जो आपका जीवन बदल हैं | Best Life Changing Motivational Stories In Hindi.
Hima das motivational story
परीक्षा की शुरुआत :
नेपुर दास, हिमा लेकर गोवा हटी चले गए और अब ट्रेनिंग का वक्त था पहले निपुण das 100 मीटर की ट्रेनिंग दे और रेस के लिए तैयार करवाया लेकिन प्रतिभा संपन्न हिमा ने 200 और 400 मीटर की रेस भी करने लगी.
कड़ी मेहनत, प्रतिभा है आपको सफलता दिलाते हैं : जुलाई 2018 से हीमा की सफलताओं की शुरुआत हुईजुलाई 2018 में फिनलैंड के टेंपरे मैं आयोजित विश्व अंडर -20- चैंपियनशिप 2018 प्रतियोगिता में भाग लिया और स्वर्ण पदक जीता दास ने 400 मीटर स्पर्धा को 51.56 मेंपूरा किया।
पहले हाथ लगी निराशा:
नूपुर दास ने नेतृत्व मैं अप्रैल 2018 मैं गोल्ड कोस्ट में खेले गए कॉमनवेल्थ गेम्स में हेमा ने हिस्सा लिया: 400 मीटर की स्पर्धा में हीमा दास ने 51 मिनट 32 सेकंड में दौड़ पूरी करते हुए छठवां स्थान प्राप्त किया था 4×400 मीटर कि स्पर्धा मैं सातवां स्थान प्राप्त किया, इतनी कड़ी मेहनत के बाद जब सातवां पायदान पर , तो उनका मन निराशा से भर गया क्योंकि वाह जानती थी कि उन पर उनके कोच, उनके परिवार और पूरे देश का भरोसा टिका हुआ है, इस बात ने हीना को पहले निराश किया परंतु उन्होंने अपने मन पर निराशा हावी नहीं होने दी और पहले से भी अधिक मेहनत करने लग गई.
कभी नहीं थे पहनने के लिए जूते, अब बनी adidas की ब्रांड एंबेसडर:
हिमा के जीवन से सीख:
हिमा देश के लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है जो देश के छोटे गरीब इलाकों से आते हैं और संसाधनों की कमी से अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं हिमा दास उनको प्रेरणा देती है देश का हर युवा अपने कड़ी मेहनत और इरादों से बेडियो को काट कर अपने सपने को पूरा कर सकता है
गुरु का महत्व:
हिमा के जीवन में सबसे बड़ा योगदान उनके coach नपूर्ण दास का रहा जिन्होंने dhing साधारण लड़की को गोल्डन गर्ल बनाया और, निपुण दास ने ही बेशकीमती हीरे को निकाला था और उनके ही मार्गदर्शन में इस बेशकीमती हीरे आगे चलकर भारत का नाम रोशन किया.